
केशव प्रसाद मौर्या का भविष्य तय करेगा संगठन और संघ ?
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली प्रचंड बहुमत के बीच उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या की सिराथू से हार ने भाजपा के कार्यकर्ताओं में खुशियों के बीच खुद के भविष्य को लेकर चिंतित कर दिया है। उत्तर प्रदेश के कद्दावर भाजपा नेता उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की सिराथू विधानसभा में समाजवादी पार्टी प्रत्याशी पल्लवी पटेल के हाथों मिली शिकस्त ने उत्तर प्रदेश की सियासत में केशव प्रसाद मौर्या के स्थान पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है और राजनीतिक गलियारों में चर्चा आम है कि केशव प्रसाद मौर्य का राजनीतिक भविष्य योगी मंत्रिमंडल में होगा या भाजपा संगठन में?
मेरी एटा भाजपा पिछड़ा वर्ग के कद्दावर नेता उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य यह हार के साथ ही उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर अटकलों का दौर तेज हो गया है। विधायक का चुनाव हारने के बाद भी माना जा रहा है कि केशव प्रसाद मौर्य का अभी विधान परिषद सदस्य का कार्यकाल बचा हुआ है और ऐसे में केशव मौर्या को योगी सरकार में जगह मिलेगी या उन्हें भाजपा की राष्ट्रीय संगठन में अहम जिम्मेदारी दी जाएगी इसका नेतृत्व शीर्ष नेतृत्व की बैठक में होगी।
विश्व हिंदू परिषद के जरिए केशव प्रसाद मौर्य ने भारतीय जनता पार्टी की राजनीति में कदम रखा था और 2012 में सिराथू से ही पहली बार विधायक निर्वाचित हुए थे। विहिप के पूर्व अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल के करीबी रहे केशव मौर्य को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले , कृष्णा गोपाल सहित नेताओं का भी करीबी माना जाता है। सूत्रों की माने तो पिछड़े वर्ग के वोट बैंक को ध्यान में रखकर ही केशव प्रसाद मौर्य का समायोजन पर निर्णय लिया जाएगा। दिल्ली में होने वाली संघ और भाजपा शीर्ष नेतृत्व के बैठक में केशव प्रसाद मौर्य के राजनीतिक भविष्य पर चर्चा होने की संभावना है।
2014 लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की कमान मिलने के बाद तीसरे नंबर की पार्टी से उत्तर प्रदेश में एक नंबर की पार्टी बनने में केशव प्रसाद मौर्य की फायर ब्रांड छवि ने अहम भूमिका निभाई थी और संगठन के अच्छी पकड़, स्थानीय मुद्दों की समझ और हिंदुत्व पर मुखर होकर केशव प्रसाद मौर्य ने 2017 में भाजपा की जीत की रणनीति को आगे बढ़ाया था। लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में पूरे प्रदेश में भाजपा प्रत्याशियों के जीत के लिए जनसभाएं कर रह केशव प्रसाद मौर्य अपनी सिराथू विधानसभा सीट पर जीत से चूक गए। अपने विधानसभा चुनाव के प्रचार प्रसार के अंतिम दिन भी केशव प्रसाद मौर्य पार्टी के दूसरे प्रत्याशियों के प्रचार प्रसार में जुटे रहे।
