
नारी डिमांड नहीं कमांड चाहती है: डॉ रागिनी श्रीवास्तव।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर काव्य संध्या का आयोजन।
सोन संगम शक्तिनगर की ओर से अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर नारी शक्ति के सम्मान में संगोष्ठी एवं काव्य संध्या का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विनय कुमार अवस्थी, एनटीपीसी अपर महाप्रबंधक तकनीकी सेवाएं, शक्तिनगर ने किया। मुख्य अतिथि डॉ रागिनी श्रीवास्तव तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में श्रीमती अनुपमा मिश्रा उपस्थित रहीं। अतिथियों का स्वागत सोन संगम के कार्यकारी अध्यक्ष उमेशचंद्र जायसवाल ने किया।
आयोजन का उद्देश्य तथा विषय की स्थापना पर अपने विचार व्यक्त करते हुए डॉ मानिकचंद पांडेय ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव के वर्ष में यह आयोजन अपना एक विशेष महत्व रखता है। आज विश्व की महिलाओं ने प्रत्येक क्षेत्र में अपना परचम लहराया है, किंतु आज के इस अवसर पर सोचने की बात यह है कि देश की आजादी के आंदोलन में जिन महिलाओं ने अपना योगदान किया वह कहां है? कमलाबाई किवे, शिवारानी देवी, जानकी देवी बजाज, सुभद्रा कुमारी चौहान, सुशीला दीदी, कमला चौधरी, विद्यावती कोकिल इत्यादि को नहीं भुलाया जा सकता है।
मुख्य अतिथि डॉ रागिनी श्रीवास्तव ने कहा कि नारी सदियों से दुनिया में अपनी विशेषता के लिए जानी पहचानी जाती है। आधुनिक परिवेश में अलग अलग तरीके से व्याख्या करने की एक बड़ी परिपाटी चल पड़ी है। नारी डिमांड नहीं कमांड चाहती है। विशिष्ट अतिथि के रूप में अपने विचार व्यक्त करते हुए अनुपमा मिश्रा ने कहा कि भारतीय मनीषा में ज्ञान विज्ञान, साहित्य संस्कृति एवं विद्वता में सती सावित्री, गार्गी अपाला, विद्दोतमा को कैसे भुलाया जा सकता है? अन्य वक्ताओं में विजयलक्ष्मी पटेल, विद्या देवी यादव, अंकिता सिंह, श्रीमती रीता कुमारी इत्यादि ने अपने विचार व्यक्त किया।
काव्य गोष्ठी का श्रीगणेश श्रीमती विद्या देवी यादव ने अपने सुंदर गीत “वो राधा प्यारी, दे दो बंसी मेरी” से किया। नारी सम्मान को अपना सलाम करते हुए बहर बनारसी ने कुछ इस प्रकार अपनी प्रस्तुत की “मां-बाप की खिदमत में तेरी उम्र गुजर जाय। फिर भी यह नहीं दूध की कीमत से जियादा।।” प्रसिद्ध कवि, सोभनाथ यादव ने नारी की ताकत को कुछ इस प्रकार अभिव्यक्त किया-“महाशक्ति तुम सबला नारी, हम सब तेरा गुन गाये। तू अन्नपूर्णा की लक्ष्मी, तू ही घर को स्वर्ग बनाये।।”
इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए ऑनलाइन जुड़े एनटीपीसी रामागुंडम से महाप्रबंधक अनुरक्षण एवं सोन संगम के अध्यक्ष आलोक चंद ठाकुर ने कुछ इन पंक्तियों से महिला शक्ति का मान बढ़ाया-
“जो पूरे जग में सबसे प्यारी,
जिसके हैं हम सब आभारी।
मां बहना बेटी पत्नी बन,
विविध रूपों में जीती नारी।।”
डॉ योगेंद्र मिश्रा अपनी कविता में, भाव का नया संचार करते हुए कुछ इस प्रकार अपने भाव को व्यक्त किया-
“तुलसी की चौपाई सूर के पद जैसी,
मीठी-मीठी कोई कहानी लगती है।
चिड़िया है एक दिन तो उड़ ही जाएगी,
जब तक है आंखों की पानी लगती है।।”
कृपाशंकर माहिर मिर्जापुरी ने नारियों के स्वरूप को कुछ इस रूप में श्रोताओं के समक्ष रखा-
“वीरानगना लक्ष्मीबाई की,
रण में जब चमकी तलवार।
अंग्रेजों की सेना में चाहूं दिशी मच गया हाहाकार।।”
संगोष्ठी एवं काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे श्री विनय कुमार अवस्थी जी ने अपनी भावा भी व्यक्ति की पंक्तियां कुछ इस रूप में प्रस्तुत किया-
“दुर्गा लक्ष्मी सरस्वती ये,
भिन्न रूप नारी के अंदर।
रहे परिस्थिति कैसी भी वो,
एक तरह ही बाहर अंदर।।”
कार्यक्रम की समाप्ति पर धन्यवाद ज्ञापन बद्री नारायण केसरवानी ने किया। कार्यक्रम में श्रीमती बीना जायसवाल, शिवकुमारी, रीता पांडेय, उषासिंह, सरवन, मुकेश, अच्छेलाल, डॉ अनिल कुमार दुबे, डॉ छोटे लाल, डॉ दिनेश कुमार इत्यादि लोग उपस्थित रहे।
