
सब इंस्पेक्टर को क्यों देना पड़ा दो करोड़ जुर्माना?
ग्वालियर। भ्रष्टाचार व चोरी पर नकेल कसने वाले पुलिस प्रशासन के कर्मी पर यदि न्यायालय द्वारा करोड़ो का जुर्माना व कारावास की सजा सुनाई पड़े तो सवाल उठना लाजिमी है कि कानून के रखवाले ने ऐसा क्या कर दिया की वर्दी को कठघरे में खड़ा होना पड़ा? दरअसल पूरा मामला इस प्रकार है कि एक सब इंस्पेक्टर को भ्रष्टाचार के मामले में दोषी मानते हुए न्यायालय द्वारा दो करोड रुपए जुर्माने के साथ साथ 4 साल की सजा सुनाई है। विशेष न्यायाधीश एवं अपर सत्र न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण आदित्य रावत ने सब इंस्पेक्टर एवं तहसील संयोजक ग्राम रक्षा समिति (निवासी 16 नेहरू कॉलोनी थाटीपुर) को आय से अधिक संपत्ति के मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत दोषी घोषित किया है।
विशेष लोक अभियोजक राखी सिंह ने पूरे घटनाक्रम के बारे में बताया कि मोहन मंडेलिया द्वारा आरोपी हरीश शर्मा उपनिरीक्षक एवं तहसील संयोजक ग्राम रक्षा समिति ग्वालियर के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने की शिकायत की गई थी। शिकायत में दिए गए बिंदुओं की गोपनीय जांच करने के उपरांत आरोप सही पाए गए और इस गोपनीय रिपोर्ट को लोकायुक्त भोपाल के समक्ष प्रस्तुत किया गया। जहां पर लोकायुक्त ने प्रारंभिक रिपोर्ट दर्ज कर लिया। गौरतलब हो कि प्रारंभिक जांच तत्कालीन निरीक्षक केएस नागर की तरफ से की गई थी।
तात्कालिक इंस्पेक्टर यश नागर की जांच रिपोर्ट में सब इंस्पेक्टर दोषी पाए गए। आरोपी हरीश शर्मा के नाम तथा परिजन के नाम आय से 381 गुना अधिक आय संपत्ति अर्जित करना पाया गया। आरोपी हरीश शर्मा के विरूद्ध अपराध पंजीबद्ध कर प्रकरण विवेचना में जारी है।
समाज में ईमानदारी का पाठ पढ़ाने वाले पुलिस कर्मियों का आय से अधिक संपत्ति अर्जन के मामले में ऐसे कार्रवाई साबित करते हैं कि संविधान में लिखें कानूनी धाराओं के दायरे में आ रहे कोई भी आम और खास यदि आरोपी है तो एक न एक दिन उसे जरूर सजा मिलेगी।
