
रानी लक्ष्मीबाई का जीवन वीरता और शौर्य की बेमिसाल कहानी: अनुराग पाठक।
शक्तिनगर। देश के पहले स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली रानी लक्ष्मीबाई के अप्रतिम शौर्य से चकित अंग्रेजों ने भी उनकी प्रशंसा की थी और वह अपनी वीरता के किस्सों को लेकर किंवदंती बन चुकी हैं। 14 मार्च, 1857 से आठ दिन तक तोपें किले से आग उगलती रहीं। अंग्रेज सेनापति, लक्ष्मीबाई की किलेबंदी देखकर दंग रह गया। रानी रणचंडी का साक्षात रूप रखे पीठ पर दत्तक पुत्र दामोदर राव को बांधे भयंकर युद्ध करती रहीं। रानी के भयंकर प्रहारों से अंग्रेजों को पीछे हटना पड़ा और महारानी की विजय हुई। खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी। उक्त बातें स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव कार्यक्रम अंतर्गत गुरुवार शाम को कोटा बस्ती में आयोजित भारत माता की आरती व पूजन कार्यक्रम में कही मुख्य अतिथि केंद्रीय विद्यालय प्रवक्ता अनुराग पाठक ने कही।
मुख्य अतिथि अनुराग पाठक व कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे रत्नाकर तिवारी ने मां भारती के चित्र पर पूजन व पुष्प चढ़ाकर कार्यक्रम को प्रारंभ किया। तत्पश्चात खड़िया बाजार विद्या मंदिर व आसपास के बच्चों द्वारा देशभक्ति गानों पर मनमोहक नृत्य पेश किया गया। देशभक्ति गानों में सराबोर दर्शकों ने भारत माता की जय हो वंदे मातरम के जयकारों से कार्यक्रम स्थल को गुंजायमान रखा।
भारत माता के चित्र पर पूजन अर्चन कर भव्य आरती किया गया और वंदे मातरम कर कार्यक्रम का समापन किया गया।
